Home NEWS क्या कांग्रेस के लिए दूसरी दिल्ली बन जाएगा पंजाब? ‘आप’ में बह गए दिग्गज, जनता ने काटी कन्नी

क्या कांग्रेस के लिए दूसरी दिल्ली बन जाएगा पंजाब? ‘आप’ में बह गए दिग्गज, जनता ने काटी कन्नी

by universalverge



punjab elections aap unleashes full force many leaders including ministers left from delhi arvind ke


© हिन्दुस्तान द्वारा प्रदत्त
punjab elections aap unleashes full drive many leaders together with ministers left from delhi arvind ke

पंजाब में विधानसभा चुनाव के नतीजों की तस्वीर करीब-करीब साफ हो चुके हैं। यहां पर आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस का सूपड़ा पूरी तरह से साफ कर दिया है। ऐसें में एक सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस के लिए दूसरी दिल्ली बन जाएगा पंजाब? दरअसल, शुरुआत से ही पंजाब के लोक संसद में जनता का मत लगातार अरविंद केजरीवाल की पार्टी के लिए था। जिन लोगों के कान जमीन पर थे, खासकर वो पांच नेता जो सिंहासन के लिए प्रमुख दावेदार थे, उन्हें इस अभियान में जोर से और स्पष्ट रूप से जनता का मत दिखाई और सुनाई दे रहा था।

साल 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव की बात करतें, तो आम आमदी पार्टी 20 सीटों के साथ राज्य में प्रमुख विपक्ष के रूप में आयी थी। लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी की आंधी ने उन लोहे के खंभों को भी बर्बाद कर दिया, जिनके इर्द-गिर्द राज्य की राजनीति दशकों से घूमती रही थी। हम बात कर रहे हैं, कांग्रेस और इस चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन करने वाला शिरोमणि अकाली दल की। 

कहते हैं कि पंजाब की स‍ियासत और श‍िरोमण‍ि अकाली दल लंबे समय से एक दूसरे के पूरक रहे हैं।  श‍िरोमण‍ि अकाली दल ने पंजाब में कई बार सरकार बनाई है। लेकिन इस बार आप की आंधी में बह गए। 

शिरोमणि अकाली दल ने अभियान के शुरुआती चरणों में 14 दिसंबर को मोगा में एक रैली में अपनी 100 साल की विरासत का जश्न मनाया। लेकिन धूमधाम से कोई फायदा नहीं हुआ, AAP के बाजीगर ने अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों के साथ-साथ उन दिग्गजों को भी हरा दिया, जो उनके कॉलिंग कार्ड थे। 

ऐसे में सवाल यह है कि क्या जनता ने राज्य के मुख्य राजनीतिक दलों या उनके नेतृत्व को अस्वीकार किया है? आपको बता दें कि जो हारने की लिस्ट में जो बड़े नाम हैं उनमें चार पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, कैप्टन अमरिंदर सिंह, आर के भट्टल और चरणजीत सिंह चन्नी शामिल थे।

मालूम हो कि इस बार चन्नी को कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम फेस घोषित किया। इसके पीछे कई वजह थी, लेकिन सबसे बड़ी जिसमें सबसे बड़ी वजह थी जाति। दरअसल, चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के पहले दलित सीएम हैं  और यहां दलित समुदाय की आबादी 32 फीसदी आबादी है। लेकिन पंजाब की जनता ने चन्नी को विधानसभा चुनावों में नकार दिया है। चन्नी गुरुवार को आए नतीजों में अपनी दोनों सीटों से चुनाव हार गए हैंष चन्नी ने इन चुनावों में चमकौर साहिब और भदौर सीटों से चुनाव लड़ा था, लेकिन इसके बावजूद वो अपनी कुर्सी नहीं बचा पाए।

पंजाब की जीत के बाद आप का कद बढ़ जाएगा और पंजाब को आप ने कांग्रेस के लिए दूसरी दिल्ली बना दिया है। सात साल पहले आप ने कांग्रेस से राष्ट्रीय राजधानी को निर्णायक रूप से छीन लिया था, यहां तक कि बीजेपी दिल्ली में भी उतनी ही खिलाड़ी है जितनी पंजाब में है।

दो पारंपरिक दलों – कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) – की पंजाब में बुरी तरह हार की कई वजहें थी। इन दोनों पार्टियों ने पिछले सात दशकों से राज्य पर शासन किया है।

भगवंत मान फैक्टर

2017 के विधानसभा चुनावों में जब AAP ने पंजाब में 112 सीटों में से 20 पर जीत हासिल की (23.7 फीसदी वोट शेयर के साथ), तो पार्टी को मुख्यमंत्री पद के चेहरे की घोषणा नहीं करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था। कहा गया था कि इस कदम के पीछे का कारण अरविंद केजरीवाल की पंजाब के मुख्यमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षाएं थीं। चन्नी ने इसी तरह का आरोप लगाया था। हालांकि, 2022 में, AAP बेहतर तरीके से तैयार थी क्योंकि संगरूर के सांसद भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया था। पार्टी का एक लोकप्रिय सिख चेहरा मान मालवा क्षेत्र में बहुत लोकप्रिय हैं।

कांग्रेस का स्व-निर्मित संकट

सितंबर 2021 में कैप्टन अमरिंदर सिंह के शीर्ष पद से हटने से राज्य में कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ीं। नेतृत्व संकट से लेकर नवजोत सिंह सिद्धू, चरणजीत सिंह चन्नी और सुनील जाखड़ के बीच शीर्ष पद के लिए खूब विवाद हुआ, और ऐसा लगा कि आलाकमान इससे अनजान रहा। कांग्रेस में अंदरूनी कलह ने मतदाताओं को जमीन पर उलझा दिया है। रुझानों की मानें तो चन्नी के आने से भी कांग्रेस को दलित वोट को मजबूत करने में मदद नहीं मिली।  

दिल्ली मॉडल

आप सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने पंजाब के लोगों के सामने अपना दिल्ली मॉडल रखा। उन्होंने दिल्ली शासन मॉडल के चार स्तंभों – सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण सरकारी शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और पानी को लेकर लोगों से वादे किए। पंजाब एक ऐसा राज्य है जो बिजली की महंगी दरों से जूझता रहा है, और जहां स्वास्थ्य और शिक्षा का ज्यादातर निजीकरण किया गया था। इसीलिए लोगों ने केजरीवाल के दिल्ली मॉडल को हाथों हाथ लिया।

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